सामाजिक एवं आर्थिक नियोजन में अन्तर्सम्बंध
उद्देश्य
प्रस्तुत इकाई को आपके सम्मुख इसलिए प्रस्तुत किया जा रहा है कि आप लोग आर्थिक एवं सामजिक नियोजन के विषय में जानकारी प्राप्त कर उनके बीच में संबंधों की भी जानकारी कर सकें। वास्तव में आर्थिक एवं सामाजिक नियोजन एक सिक्के के दो पहलू हैं।
प्रस्तुत इकाई को पढ़ने के बाद आप इस योग्य हो जायेगें कि आप आर्थिक एवं सामाजिक नियोजन के बीच अन्तर्सम्बंध को समझ सकेंगे। अतः इस इकाई को पढ़ने के बाद आपः
1- सामाजिक एवं आर्थिक नियोजन के बारे में संक्षिप्त ज्ञान प्राप्त कर सकेगें।
2- सामाजिक एवं आर्थिक नियोजन के अन्तर्सम्बंध के बारे में जानकारी प्राप्त कर सकेगें।
3- सामाजिक एवं आर्थिक नियोजन में अन्तर कर सकेगें।
4- सामाजिक एवं आर्थिक नियोजन की पारस्परिक निर्भरता के बारे में जानकारी प्राप्त कर सकेंगे।
परिचय
प्रस्तुत इकाई में सामाजिक एवं आर्थिक नियोजन के अर्न्तसम्बन्ध के बारे चर्चा प्रस्तुत की गई जिससे आप लोगों को ज्ञान, खास तौर से सामाजिक एवं आर्थिक नियोजन के बारे में हो सके। इसमें बताया गया है कि सामाजिक एवं आर्थिक नियोजन क्या है? तथा इनके बीच अन्तर्सम्बंध क्या है?
हम जानते हैं कि सभी प्रकार के विकास का वास्तविक लक्ष्य मानवीय आवश्यकताओं की पूर्ति करना है। प्रत्येक भी विकासशील देश अपने नागरिकों को एक न्यूनतम इच्छित जीवन जीने का आश्वासन प्रदान करने की दृष्टि से हर सम्भव प्रयास करता हैं। चूँकि जनसंख्या शहरी तथा ग्रामीण दोनों स्थानों पर निवास करती है इसीलिए शहरी विकास के साथ-साथ ग्रामीण विकास पर भी जोर दिया जाता है। वर्तमान समय में यह अनुभव किया जाने लगा है कि योजनाओं का निर्माण तथा उनका कार्यान्वयन ऐसे होना चाहिए जिससे समुदायों में आत्म निर्भरता की वृद्धि के साथ-साथ निर्वल, पिछड़े एवं शोषित वर्गों का अत्यधिक कल्याण हो।
वर्तमान युग में विकास शब्द का अर्थ भिन्न-भिन्न परिप्रेक्ष्य में भिन्न-भिन्न लगाया जाता है। अतः वर्तमान में विकास का अर्थ सर्वांगीण विकास है. और इस सम्पूर्णता को ध्यान में रखते हुए नियोजन होना चाहिए। चूंकि नियोजन का लक्ष्य विकास है एवं विकास की अवधारणा के अन्तर्गत सम्पूर्णता अन्तनिर्हित है. इसलिए नियोजन की आवधारणा में भी सम्पूर्णता का समावेश होना ही चाहिए। यह दुखद है कि हम लोग, भौतिक सामाजिक कारकों को अलग-अलग समझते हैं जिसके कारण नियोजन को भी हम अलग-अलग परिप्रेक्ष्य में देखते है, जिसके फलस्वरूप समाजिक तथा आर्थिक नियोजन को एक दूसरे से अलग ही देखा जाता है।
वर्तमान युग भौतिकवादी युग है जिसमें अर्थ (मुद्रा) की प्रधानता के कारण नियोजन को साधारणतया आर्थिक नियोजन के रूप में देखा जाता है और सामाजिक नियोजन को यह महत्व नहीं मिल पाता है जो वास्तव में उसे मिलना चाहिए। कटु सत्य यह भी है कि आर्थिक नियोजन निः सन्देह महत्वपूर्ण है परन्तु इसकी सफलता भी सामाजिक नियोजन पर ही निर्भर करती है. जिसके अन्तर्गत मानवीय संसाधनों से सम्बन्धित नियोजन किया जाता है।
प्रस्तुत इकाई में यह प्रयास किया गया है कि आप को सामाजिक नियोजन एवं आर्थिक नियोजन की अवधारणा के साथ-साथ एक दूसरे पर निर्भरता एवं अन्तर्सम्बन्धों के बारे में जानकारी प्राप्त हो सके।
FAQ
Q. सामाजिक आर्थिक नियोजन क्या है?
A. सामाजिक सुरक्षा प्रदान करने के लिए भी किया जाता है जिससे कि नागरिक परिश्रम व लगन से कार्य करें।
Q. आर्थिक नियोजन से क्या तात्पर्य है भारत में आर्थिक नियोजन के उद्देश्य की व्याख्या कीजिए?
A. आर्थिक नियोजन का अर्थ राष्ट्र प्राथमिकताओं के अनुसार देश के संसाधनों का विभिन्न विकासात्मक क्रियाओं में प्रयोग करना है
निष्कर्ष
आर्थिक नियोजन निः सन्देह महत्वपूर्ण है परन्तु इसकी सफलता भी सामाजिक नियोजन पर ही निर्भर करती है. जिसके अन्तर्गत मानवीय संसाधनों से सम्बन्धित नियोजन किया जाता है।
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