मानव भूगोल की प्रकृति
मानव भूगोल भौतिक पर्यावरण तथा मानव-जनित सामाजिक सांस्कृतिक पर्यावरण के अंतर्संबंधों का अध्ययन उनकी परस्पर अन्योन्यक्रिया के द्वारा करता है। आप अपनी कक्षा XI वीं की पुस्तक' भौतिक भूगोल के मूल सिद्धांत (रा.शै.अ.प्र.प.-2006) में भौतिक पर्यावरण के तत्त्वों का अध्ययन कर चुके हैं। आप जानते हैं कि ये तत्त्व भू-आकृत्ति, मृदाएँ, जलवायु, जल, प्राकृतिक वनस्पति और विविध प्राणिजात तथा वनस्पति जात हैं।
क्या आप तन तत्त्वों की सूची बना सकते हैं, जिनकी रचना मानव ने भौतिक पर्यावरण द्वारा प्रदत्त मंच पर अपने कार्य-कलापों के द्वारा की है? गृह, गाँव, नगर, सड़कों व रेलों का जाल, उद्योग, खेत, पत्तन, दैनिक उपयोग में आने वाली वस्तुएँ तथा भौतिक संस्कृति के अन्य सभी तत्त्व भौतिक पर्यावरण द्वारा प्रदत् संसाधनों का उपयोग करते हुए मानव द्वारा निर्मित किए गए हैं, जबकि भौतिक पर्यावरण मानव द्वारा वृहत् स्तर पर परिवर्तित किया गया है, साथ ही मानव जीवन को भी इसने प्रभावित किया है।
मानव का प्राकृतीकरण और प्रकृति का मानवीकरण
मनुष्य अपने प्रौद्योगिकी की सहायता से अपने भौतिक पर्यावरण से अन्योन्यक्रिया करता है। यह महत्त्वपूर्ण नहीं है, कि मानव क्या उत्पन्न और निर्माण करता है बल्कि यह अत्यन्त महत्त्वपूर्ण है कि वह 'किन उपकरणों और तकनीकों की सहायता से उत्पादन और निर्माण करता है'?
समाज के सांस्कृतिक विकास
प्रौद्योगिकी किसी समाज के सांस्कृतिक विकास के स्तर की सूचक होती है। मानव प्रकृति के नियमों को बेहतर ढंग से समझने के बाद ही प्रौद्योगिकी का विकास कर पाया। उदाहरणार्थ, घर्षण और ऊष्मा की संकल्पनाओं ने अग्नि की खोज में हमारी सहायता की। इसी प्रकार डी.एन.ए, और आनुवांशिकी के रहस्यों की समझ ने हमें अनेक बीमारियों पर विजय पाने के योग्य बनाया। अधिक तीव्र गति से चलने वाले यान विकसित करने के लिए हम वायु गति के नियमों का प्रयोग करते हैं।
आप देख सकते हैं कि प्रकृति का ज्ञान प्रौद्योगिकी को विकसित करने के लिए महत्त्वपूर्ण है और प्रौद्योगिकी मनुष्य पर पर्यावरण को बंदिशों को कम करती है। प्राकृतिक पर्यावरण से अन्योन्यक्रिया की आरंभिक अवस्थाओं में मानव इससे अत्यधिक प्रभावित हुआ था। उन्होंने प्रकृति के आदेशों के अनुसार अपने आप को डाल लिया।
प्राकृतिक मानव की कल्पना
इसका कारण यह है कि प्रौद्योगिकी का स्तर अत्यंत निम्न था और मानव के सामाजिक विकास की अवस्था भी आदिम थी। आदिम मानव समाज और प्रकृति की प्रबल शक्तियों के बीच इस प्रकार की अन्योन्यक्रिया को पर्यावरणीय निश्चयवाद कहा गया। प्रौद्योगिक विकास की उस अवस्था में हम प्राकृतिक मानव की कल्पना कर सकते हैं जो प्रकृति को सुनता था. उसको प्रचंडता से भयभीत होता था और उसकी पूजा करता था।
निष्कर्ष
डी.एन.ए, और आनुवांशिकी के रहस्यों की समझ ने हमें अनेक बीमारियों पर विजय पाने के योग्य बनाया। अधिक तीव्र गति से चलने वाले यान विकसित करने के लिए हम वायु गति के नियमों का प्रयोग करते हैं।
FAQ
Q. मानव भूगोल की प्रकृति क्या है?
A. मानव भूगोल में छह प्रमुख विषय क्षेत्रों के साथ-साथ मानव भूगोल का परिचय भी शामिल है।
Q. भौतिक भूगोल की प्रकृति क्या है?
A. भौतिक भूगोल (Physical geography) भूगोल की एक प्रमुख शाखा है जिसमें पृथ्वी के भौतिक स्वरूप का अध्ययन किया जाता हैं
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