सांख्यिकीय प्रविधियाँ
इस खण्ड में शैक्षिक अनुसन्धान के लिये आवश्यक सांख्यिकीय प्रविधियों को चार इकाइयों में समावेशित किया गया है। यो चार इकाइयाँ क्रमशः केन्द्रीय प्रवृत्ति तथा विचलनशीलता की मापें, सहसम्बन्ध गुणांक एवं सामान्य प्रायिकता वक्र, सांख्यिकीय अनुमान का आधार, टी-परीक्षण तथा प्रसरण विश्लेषण एवं अप्राचलिक सांख्यिकी से सम्बन्धित है।
इकाई-13 में केन्द्रीय प्रवृत्ति की मापें के अन्तर्गत मध्यमान,
मध्यांक एवं बहुलक की चर्चा किसी समूह की विशेषताओं को एक प्राप्तांक द्वारा व्यक्त करने के रूप में की गयी है। इन तीनों मापों का प्रयोग विभिन्न परिस्थितियों को दृष्टिगत रखकर किया जाता है। परन्तु इस एक मान से समूह के बारे में बहुत अधिक जानकारी प्राप्त नहीं हो सकती इसलिए समूह की विचलनशीलता का ज्ञान होना भी आवश्यक है। विचलन की मापों के प्रकार, उनकी विशेषतायें एवं गणना सीखना भी आवश्यक है।
इकाई 14 में दो चरो के मध्य सहसम्बन्ध ज्ञात करने की विधियों के
साथ-साथ सहसम्बन्ध के प्रकारों को दर्शाया गया है। सह-सम्बन्ध बताता है कि किसी समूह के एक चर के मान में परिवर्तन होने पर दूसरे चर के मान में किस प्रकार का परिवर्तन होने की सम्भावना होती है। सामान्य प्रायिकता वक्र सांख्यिकी विशेषकर अनुमानात्मक सांख्यिकी के क्षेत्र की एक महान खोज है। एक आदर्श तथा गणितीय वक्र के बाद की इसकी विशेषतायें जीवसंख्या की प्रवर्षत्त के रूप में बहुत व्यावहारिक क्षेत्र के लिये बहुत ही उपयोगी सिद्ध हुई है।
इकाई-15 में सांख्यिकी अनुमान के आधार कौन-कौन है,
की चर्चा है। इस इकाई में दो मध्यमानों के अन्तर की सार्थकता परीक्षण के रूप में बहुतायत से प्रयुक्त - परीक्षण जो एक प्राचलिक सांख्यिकी है की विशेषताओं, मान्यताओं एवं गणना की प्रक्रिया वर्णित है। परन्तु दो से अधिक मध्यमानों के अन्तर की सार्थकता हेतु एक से अधिक बार - परीक्षण का प्रयोग करना पड़ता है। लेकिन दो से अधिक मध्यमानों की सार्थकता परीक्षण के लिये - परीक्षण ज्यादा उपयुक्त रहता है। यह भी एक महत्वपूर्ण प्राचलिक सांख्यिकी है।
इकाई-16 में अप्रचालिक सांख्यिकी विधियों का वर्णन है।
अप्राचलिक सांख्यिकी छोटे न्यादर्श तथा ऐसी परिस्थितियों में जब न्यादर्श प्राचलिक सांख्यिकी की आवश्यक शर्तों को पूरा नहीं करते में प्रयुक्त की जाती है। अप्राचलिक सांख्यिकी में काई-वर्ग परीक्षण सबसे महत्वपूर्ण परीक्षण है। काई-वर्ग का प्रयोग तब किया जाता है जब आँकड़े या सूचनायें आवृत्तियों के रूप में प्राप्त होते हैं। इसकी गणना प्रक्रिया भी सरल है। इस परीक्षण के अतिरिक्त 'मध्यांक परीक्षण' कोलमोगोरोव-स्मिरनोब परीक्षण, मान-व्हिटनी परीक्षण भी महत्वपूर्ण अप्राचलिक सांख्यिकी विधियां हैं।
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