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Thursday, September 19, 2024

जल प्रदूषण के प्रभाव

जल प्रदूषण के प्रभाव 


(1) मनुष्यों पर प्रभाव (Effects on Human)- प्रदूषित जल जब मनुष्य पीने के माध्यम से ग्रहण करता है तो उसमें उपस्थित जीवाणुओं से अनेक प्रकार की बीमारियाँ, जैसे हैजा, टाइफाइड, डायरिया, पेचिश, आदि रोग फैल जाते हैं जो कभी-कभी महामारी का रूप भा ले लेते हैं। पीलिया, यकृत शोध एवं पोलियो जैसी बीमारियाँ भी दूषित जल में उपस्थित वायरस से होती हैं। जीवाणुओं के अतिरिक्त प्रदूषित जल में मिश्रित अनेक रसायनों का भी मानव पर विपरीत प्रभाव पड़ता है। यदि जल में फ्लोराइड की मात्रा अधिक होगी तो दाँतों की विकृति के रोग हो जाते है। 




(2) जल जीवों एवं जलीय वनस्पति पर प्रभाव- जल प्रदूषण का सर्वाधिक प्रभाव जल जीवों एवं जलीय वनस्पति पर होता है क्योंकि इनका अस्तित्व जल में होता है और ये जलीय पारिस्थितिकी का अभिन्न अंग होते हैं। जल में घरेलू गन्दे अपशिष्टों का मिश्रण हो या औद्योगिक बहिःस्राव के रसायनों का, उसमें तापीय प्रदूषण हो या रेडियोधर्मी अथवा तेले प्रदूषण, सभी जलीय जीवन को हानि पहुँचाते हैं तथा उनका विनाश हो जाता है। जल प्रदूषण जलीय वनस्पति को भी अनेक प्रकार से प्रभावित करता है। जल में नाइट्रेट्स और फॉस्फेट के मिश्रित हो जाने से शैवाल में वृद्धि होती है। प्रदूषित जल में नीले हरित शैवाल (Blue- green algae) और डायएटम्स (Diatoms) आदि अधिक हो जाते हैं। इनकी अधिक वृद्धि से एक तो सूर्य का प्रकाश अन्दर तक नहीं पहुँच पाता तथा अनेक व्यर्थ की वनस्पति का विकास हो जाता है और अनेक जलीय पौधे समाप्त हो जाते हैं।

(3) अन्य प्रभाव (Other Effects)- प्रदूषित जल से कुछ अन्य प्रभाव भी पड़ते हैं। डिटरजेन्ट मिश्रित जल में अत्यधिक झाग होने के कारण उसके शोधन में कठिनाई होती है। कभी-कभी प्रदूषित जल जो उद्योगों से बाहर फैला दिया जाता है, उससे भूमि की उर्वरता समाप्त हो जाती है।

जल स्त्रोतों की गुणवत्ता को बनाए रखने के लिए कुछ सुझाव

(1) जल स्रोतों की गुणवत्ता का नियमित आकलन।

(2) विद्युत शवदाह गृहों एवं सुलभ शौचालयों का निर्माण।

(3) औद्योगिक इकाइयों द्वारा उत्पन्न जल का समय-समय पर परीक्षण व उन्हें सलाह देनी चाहिए कि वे उस जल के पुनः उपयोग की व्यवस्था करें।

(4) धार्मिक अन्धविश्वास को दूर करने का प्रयास जिससे नदियों में पुष्प, बाल, नारियल आदि का विसर्जन रोका जा सके।

परन्तु बिना जन सहयोग के कोई भी प्रदूषण निवारण योजना सफल नहीं हो सकती है। अतः जनसामान्य में इस भावना का विकास करना होगा कि इन प्राकृतिक जल स्रोतों को स्वच्छ रखना हमारा दायित्व है, न सिर्फ इसलिए कि हम उन्हें उपयोग में ला रहे हैं, बल्कि इसलिए कि ये हमारी राष्ट्रीय धरोहर हैं जिसे हमें हमारी आने वाली पीढ़ियों के लिए सुरक्षित रखना है।

सीवेज या मानवीय उपयोगों के परिणामस्वरूप उत्पन्न गन्दा पानी

ऐसा पानी जिसे एक बार उपयोग कर लिया गया है तथा जिसे पुनः बिना किसी उपचार के प्रयोग नहीं किया जा सकता उसे वाहित मल या सीवेज कहते हैं। इस सीवेज को उत्पत्ति के स्रोतों के आधार पर दो श्रेणियों में विभाजित किया जा सकता है-

1. घरेलू सीवेज (Domestic Sewage)- मानवीय जीवन में दैनिक क्रियाकलापों के परिणामस्वरूप उत्पन्न होने वाला सीवेज जिसमें कार्बनिक पदार्थों की मात्रा अधिक होती है अतः सूक्ष्मजीवों द्वारा अपघटन चक्रीयकरण आसान हो।

2. औद्योगिक सीवेज (Industrial Sewage) - औद्योगिक इकाइयों द्वारा उत्पन्न सीवेज आमतौर पर अकार्बनिक प्रवृत्ति (अम्लीय या क्षारीय) का होता है अतः इसका सूक्ष्म जीवों द्वारा अपघटन चक्रीयकरण आसान नहीं होता है।

जल प्रदूषण रोकने के उपाय (Measures to check Water Pollution)

(1) पर्यावरण संरक्षण की चेतना का विकास पर्यावरणीय शिक्षा के माध्यम से किया जाना चाहिए।

(2) पेयजल स्त्रोतों की ओर विशेष ध्यान दिया जाना चाहिए।

(3) घरेलू उपयोग में आये वाहित जल को शुद्धीकरण के बाद ही बाहर निकालना

चाहिए।

(4) नदी, तालाब आदि में कपड़े धोने, पशुओं के नहलाने, अन्दर घुसकर पानी लेने, स्वयं नहाने पर प्रतिबन्ध लगाया जाना चाहिए।

(5) कृषि में कीटनाशी आदि रसायनों के प्रयोग को हतोत्साहित किया जाना चाहिए।

(6) संदूषित जलाशयों की मिट्टी निकालकर उन्हें साफ किया जाय।

(7) मछलियों की कुछ जातियाँ जलीय खरपतवारों का भक्षण करती हैं। अतः ऐसी जातियों की मछलियों को पाला जाना चाहिए।

(8) औद्योगिक वाहित जल के उपचार की विधियों पर अनुसंधान किये जायें। (9) संदूषित तथा प्रदूषित जल के लिए सस्ती तथा प्रभावी विधियाँ खोजी जायें।

(10) जनसाधारण को जल प्रदूषण के कारणों, दुष्प्रभावों तथा रोकथाम की विधियों के बारे में जागरूक बनाया जाना चाहिए। 


FAQ

Q. जल प्रदूषण का प्रभाव क्या है?


A. इससे जमीन की उर्वरक क्षमता कम होती है। कुल मिलाकर कृषि क्षेत्र और देश को भी प्रभावित करता है। समुद्र का पानी प्रदूषित होता है तो उसका बुरा असर समुद्री जीवन पर भी होता है। जल 

Q. जल प्रदूषण हमारे लिए क्या हानिकारक है?

A. दूषित जल में वायरस, बैक्टीरिया और अन्य रसायन होते हैं जो कैंसर, पीलिया और अन्य कई बीमारियों जैसी गंभीर बीमारियों का कारण बनते हैं

निष्कर्ष 

डिटरजेन्ट मिश्रित जल में अत्यधिक झाग होने के कारण उसके शोधन में कठिनाई होती है। कभी-कभी प्रदूषित जल जो उद्योगों से बाहर फैला दिया जाता है, उससे भूमि की उर्वरता समाप्त हो जाती है।

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