मानचित्र कब और कैसे बना
वर्तमान समय में मानचित्र से प्रायः सभी लोग परिचित हैं। मानचित्र की सहायता से कोई भी व्यक्ति कभी भी किसी स्थान अथवा स्थापना का सीमांकन समझकर मार्ग दर्शन प्राप्त कर सकता है। मानचित्र बनाने और मानचित्र देखने-दिखाने का प्रचलन कोई आधुनिक युग की देन नहीं है। ईसा से लगभग 3000 वर्षों पूर्व भी यह विधा प्रचलित थी।
प्राचीन मिस्त्रवासियों
3000 वर्ष ई० पू० में प्राचीन मिस्त्रवासियों ने सबसे पहले मानचित्र तैयार कर दिखाया परन्तु उनके सारे अनुमान गलत निकले। वे मिस्र को भूमण्डल का केन्द्र मानकर यह समझते थे कि सारी दुनिया पानी से घिरी है। उनमें से कोई भी मानचित्र अब उपलब्ध नहीं है क्योंकि कागज जैसी ही एक सामग्री पेपाइरस पर बने होने के कारण वे बहुत पहले ही सड़ गल गये। विश्व का मानचित्र तैयार करने वालों में अगला नाम बेबीलोनिया वासियों का आता है। वे चिकनी मिट्टी की बनी तख्तियों पर मानचित्र उकेर कर, उन्हें आग में पकाकर मजबूत बना लेते थे। साढ़े चार हजार वर्ष पुराने कुछ ऐसे ही मानचित्र लंदन के ब्रिटिश संग्रहालय व अमेरिका के हारवर्ड विश्वविद्यालय के संग्रहालय में आज भी देखे जा सकते हैं।
प्राचीन मिस्र तथा बेवीलोनिया
प्राचीन मिस्र तथा बेवीलोनिया वासियों का ऐसा मानना था कि पृथ्वी चपटी है। लगभग १८०० वर्ष बाद यूनानी सभ्यता के पतन के आसपास आदमी के मन में पहली बार यह विचार आया कि पृथ्वी गोल है। ईसा से लगभग तीन सौ वर्ष पूर्व, एरैटोस्थेनेस नामक यूनानी वैज्ञानिक ने दुनिया के आकार यानी परिधि का अनुमानित निर्धारण किया तथा गणना का आधार यह माना कि पृथ्वी ठोस रूप में पूर्णतः गोलाकार है।
सूर्य के निरन्तर अध्ययन एवं निरीक्षण द्वारा उसने यह निष्कर्ष निकाला था। वह जानता था कि सूर्य इतना अधिक दूर है कि उसका प्रकाश पृथ्वी तक एकदम समानान्तर किरणों में पहुँचता है। उसने गौर किया कि जब वह सामने शहर में था तो सिर के ऊपर चमकते सूर्य तथा एलेक्जैण्ड्रिया शहर में सिर के ऊपर चमकते सूर्य में सात अंश की भिन्नता थी। इसका अर्थ यह निकला कि पृथ्वी चपटी हो ही नहीं सकती वर्ना एक ही समय में सामने व एलेक्जैण्ड्रिया शहरों में सिर के ऊपर चमकते सूर्य की स्थिति में किसी भी हालत में भिन्नता न होती। इसके पश्चात् वह धरती की परिधि नापने को उद्यत हुआ और वृत्त में 360° की मौजूदगी को अपना आधार बनाया।
अनुमानित निर्धारण
उसका अनुमानित निर्धारण, पृथ्वी व सूर्य के मध्य 25 हजार मील (लगभग 40 हजार कि०मी०) बाद के दो हजार वर्ष तक अत्याधिक सटीक गणना मानी जाती रही। एरैटोस्थेनेस, जिन्हें आज गणितज्ञ व भूगोलवेत्ता माना जा सकता है। एलैक्जैण्ड्रिया स्थित पुस्तकालय में अपने सभी कार्य सम्पन्न किए। विशाल साम्राज्यों के आक्रान्ता ने सिकन्दर महान के हमलों के जमाने में, चंद दिनों बाद ही यह काम हुआ। सिकन्दर की उपलब्धियों से मानव ने दुनिया को नई, व्यापक, बहुमुखी दृष्टि से देखना शुरू किया जबकि पहले वह एक सीमित दायरे में अपने आस-पास के बारे में ही सोचा करता था। इसी भावना और एरैटोस्थेनेस द्वारा सूर्य के अध्ययन के परिणाम स्वरूप ही पहले पहल महत्वपूर्ण मानचित्र तैयार किए गये।
FAQ
Q. मानचित्र के पिता कौन थे?
A. कैप्टन जेम्स रेनेल को भारतीय भूगोल का पिता माना जाता है और उन्हें 1783 में भारत का पहला लगभग सही नक्शा बनाने वाला पहला व्यक्ति माना जाता है।
Q. भारत का पहला नक्शा कब और किसने बनाया था?
A. विलियम लैम्बटन और जॉर्ज एवरेस्ट ने भारत का पहला सटीक मानचित्र बनाया।
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