अम्लीय वर्षा को रोकने के उपाय
अम्लीय वर्षा को रोकने के उपायों को हम निम्नलिखित रूप में समझ सकते हैं- 1982 में अम्लीय वर्षा को रोकने के प्रयास प्रारम्भ हुए और संयुक्त राष्ट्र के अन्तर्गत स्टॉकहोम में एक सम्मेलन आयोजित किया गया। इसमें 33 देशों ने भाग लिया।
इस सम्मेलन के माध्यम से विश्व का ध्यान अम्लीय वर्षा की ओर खींचा गया और निर्णय लिया गया कि विभिन्न स्रोतों से पैदा होने वाली सल्फर डाइऑक्साइड और नाइट्रोजन डाइऑक्साइड गैसों की मात्रा को कम किया जाए। इसके लिए निम्नलिखित उपाय किए जा सकते हैं-
(1) सौर ऊर्जा, पवन ऊर्जा आदि का प्रयोग किया जाए और परम्परागत ईंधन के प्रयोग को समाप्त किया जाए।
(2) वाहनों से निकलने वाली नाइट्रोजन ऑक्साइड को नियन्त्रित किया जाए और सी.एन.जी. (C.N.G.) के प्रयोग को बढ़ावा दिया जाए।
(3) जीवाश्म (कोयला, खनिज तेल आदि) जलाने की प्रक्रिया में परिवर्तन किया जाए ताकि सल्फर डाइऑक्साइड और नाइट्रोजन डाइऑक्साइड के उत्सर्जन को रोका जा सके।
(4) कारखानों की चिमनियों से निकलने वाले धुआँ के साथ कणिकीय पदार्थों को फिल्टर (Filter) करने के लिए उनके मुख पर उपकरण (बैगफिल्टर) बाँधा जाए।
(5) जलाशयों की अम्लीयता को चूना डालकर कम किया जाए और अन्य तकनीकी समाधान खोजे जाएँ।
(6) वैज्ञानिक खोजों को बढ़ावा दिया जाए ताकि इसके समाधान का सुगम और सरल रास्ता मिल सके।
(7) कोयले के स्थान पर सल्फर विहीन शक्ति उत्पादन (Power Production) किया जाए।
(8) अन्तर्राष्ट्रीय सन्धियों को बढ़ावा दिया जाए ताकि अम्ल पैदा करने वाली गैसों के उत्सर्जन पर प्रतिबन्ध लगाया जा सके।
(9) इस प्रकार के व्यापार को बढ़ावा दिया जाए- (Emissions Trading) जिससे अम्लीयता को कम करने में सहायता मिल सके।
अतः अम्लीय वर्षा एक विश्वव्यापी समस्या है। इसका उपाय सल्फर डाइऑक्साइड और नाइट्रोजन डाइऑक्साइड गैसों की मात्रा को कम करना है। इसलिए उपर्युक्त उपायों के माध्यम से इन गैसों के उत्सर्जन को कम किया जा सकता है और अम्लीय वर्षा के प्रभाव को कम किया जा सकता है।
No comments:
Post a Comment