सामाजिक एवं आर्थिक नियोजन की अवधारणा
आपको ज्ञात हो कि प्रस्तुत इकाई खास तौर से सामाजिक एवं आर्थिक नियोजन के परिप्रेक्ष्य में संरचित की गई है। अतः सामाजिक एवं आर्थिक नियोजन के अन्तर्सम्बन्धों के बारे में चर्चा करने से पहले इनकी अवधारणा स्पष्ट होनी चाहिए। अतः सामाजिक एवं आर्थिक नियोजन की अवधारणा नीचे प्रस्तुत की जा रही है, जो इनके बीच अन्तर्सम्बन्ध को
समझने में सहायक होगी।
सामाजिक नियोजन किसी भी रूप में किया गया वह नियोजन है जो सामाजिक व्यवस्था या उसकी अन्तर्सम्बन्धित उपव्यवस्थाओं में पूर्ण या आंशिक रूप से एक निश्चित दिशा में अपेक्षित परिवर्तन लाने के एक चेतन एवं संगठित प्रयास का परावर्तन करता है। नियोजन का उद्देश्य एक निश्चित दिशा में परिवर्तन लाने के लिए योजना का निर्माण करना है।
नियोजन के बारे में पं. जवाहर लाल नेहरू जी ने कहा है कि 'नियोजन न केवल कार्य सूची बना लेना है और न ही यह एक राजनीतिक ऑदर्शवाद है, बल्कि नियोजन एक बुद्धिमत्तापूर्ण, विवेकपूर्ण तथा वैज्ञानिक पद्धति है जिसके अनुसार हम अपने आर्थिक तथा सामाजिक उद्देश्यों को निर्धारित एवं प्राप्त करते हैं। स्पष्ट है नियोजन भौतिक पर्यावरण का कुशलतापूर्वक उपयोग करने की प्रक्रिया है।"
इसी संदर्भ में हम सामाजिक नियोजन को एक ऐसी प्रक्रिया है के रूप में देख सकते हैं, जो समाज के मानवीय संसाधनों के समुचित विकास हेतु उनकी विविध प्रकार की आवश्यकताओं एवं समाज में उपलब्ध विविध प्रकार के संसाधनों के बीच प्राथमिकता के आधार पर सामन्जस्य स्थापित करती है।
दूसरी तरफ आर्थिक नियोजन की आवधारणा को समझने के पश्चात हमें यहस्पष्ट होता है कि आर्थिक व्यवस्था को मजबूत करने हेतु आर्थिक नियोजन का सहारा लिया जाता है। वास्तव में आर्थिक नियोजन को वर्तमान समय में आर्थिक जीवन का आवश्यक अंग मान लिया गया है। वर्तमान समय में चाहे देश में कोई सी भी शासन प्रणाली हो पर आर्थिक नियोजन को सभी ने अपना लिया है, क्योंकि इसको वर्तमान आर्थिक जीवन में आद्यौगिक विकास, अन्तर्राष्ट्रीय निर्भरता, वैज्ञानिक पद्धति तथा जनसंख्या नियंत्रण के एक महत्तवपूर्ण कारक के रूप् में मान्यता प्राप्त हो गई है।
आर्थिक व्यवस्था को सफल बनाने के लिए आर्थिक नियोजन का सहारा लिया जाता है, क्योंकि यह एक ऐसी विवेकपूर्ण व्यवस्था है जिसमें कम से कम साधनों के उपयोग से अधिक कल्याण प्राप्त करने का प्रयत्न किया जाता है। दूसरे शब्दों में स्पष्ट किया जाय तो यह कहा जा सकता है कि आर्थिक नियोजन के अन्तर्गत राष्ट्रीय संसाधनों का पूर्व निर्धारित उद्देश्य के लिए विचारपूर्वक प्रयोग किया जाता है।
अर्थिक नियोजन में प्रतिस्पर्द्धा एंव पुनरावृत्ति जैसी बुराइयों को दूर करने के लिए केन्द्रीय नियन्त्रण के अन्तर्गत सभी पहलुओं को एक-दूसरे से जोड़ दिया जाता है।
आर्थिक नियोजन को लुईस लार्डविन ने परिभाषित करते हुए लिखा है कि "आर्थिक नियोजन का अभिप्राय एक ऐसे आर्थिक संगठन से है जिसमें सब अलग-अलग कारखाने तथा औद्योगिक संस्थाओं को एक समन्वित इकाई के रूप में संचालित किया जाता है और जिसका उद्देश्य एक निश्चित समय में समस्त प्राप्त साधनों के प्रयोग द्वारा अधिकतम आवश्यकताओं की संतुष्टि प्राप्त करना होता है।"
इस प्रकार हम कह सकते हैं कि कृषि में परम्परागत साधनों का प्रयोग करते हुए किया गया खाद्यान्नों का उत्पादन, आर्थिक संसाधनों पर पूँजीपति वर्ग के एकाधिकार, श्रमिकों का उनके द्वारा किया गया शोषण, कारखानों में बनी हुई वस्तुओं को बाजार में आने के कारण घरेलू उद्योगों में कमी, गांवों की समाप्त होती हुई आत्मनिर्भरता, नगरों में कारखानों की स्थापना के परिणाम स्वरूप उपलब्ध हुए रोजगार के अवसरों से लाभान्वित होने के लिए, ग्रामीण अंचलों से जनसंख्या का बड़े स्तर पर प्रवंसन और इसके परिणामस्वरूप शहरों में उत्पन्न हुयी विभिन्न प्रकार की समस्यायें, बढ़ती हुयी चोर बाजारी, जमाखोरी, आवश्यक वस्तुओं की बाजार में कृत्रिम दुर्लभता, रोजमर्रा के कामों में मशीनों के बढ़ते हुए प्रयोग तथा जनसंख्या की तीव्र दर से वृद्धि के परिणामस्वरूप बेरोजगारी की गम्भीर समस्या की उत्पत्ति विज्ञान तथा प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में विकास की दृष्टि से किये गये विभिन्न आविष्कार इत्यादि अनेक कारणों से यह अनुभव किया गया कि आर्थिक नियोजन ही एक मात्र विकल्प है जो प्रत्येक व्यक्ति को एक न्यूनतम इच्छित जीवन स्तर का आश्वासन दे सकता है।
FAQ
Q. आर्थिक नियोजन की अवधारणा क्या है?
A. आर्थिक योजना आर्थिक नियोजन एक संसाधन आवंटन तंत्र है जो एक विवश अधिकतमकरण समस्या को हल करने के लिए एक कम्प्यूटेशनल प्रक्रिया पर आधारित है।
Q. आर्थिक नियोजन का अर्थ क्या है?
A. वह प्रक्रिया जिसके द्वारा प्रमुख आर्थिक निर्णय केंद्रीय सरकारों द्वारा लिए जाते हैं या प्रभावित होते हैं ।
निष्कर्ष
एच.डी. डिकन्सन ने आर्थिक नियोजन के सम्बन्ध में लिखा है कि 'क्या और कितना उत्पादन किया जाय, कहाँ और कैसे उत्पादन हो और उसका वितरण किस प्रकार से किया जाये, के सम्बन्ध मे निश्चित अधिकारी द्वारा समस्त व्यवस्था का व्यापक परीक्षण करने के बाद महत्वपूर्ण आर्थिक निर्णय करने को ही आर्थिक नियोजन कहते हैं।"
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