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Wednesday, October 9, 2024

पंचवर्षीय योजनायें एवं सामाजिक नियोजन -Five Year Plans and Social Planning

पंचवर्षीय योजनायें एवं सामाजिक नियोजन

उद्देश्य

प्रिय विद्यार्थियों, प्रस्तुत इकाई आपके सामाजिक नियोजन से सम्बन्धित ज्ञान में उत्तरोत्तर वृद्धि करायेंगी। प्रस्तुत इकाई पंचवर्षीय योजनाओं एवं सामाजिक नियोजन पर प्रकाश डालती है। इस इकाई को पढ़ने के बाद आपः

1. पंचवर्षीय योजनायें एवं सामाजिक नियोजन पर प्रकाश डाल सकेंगे।

2. विभिन्न पंचवर्षीय योजनाओं में समाजिक नियोजन में किये गये बजट के बारे में जानकारी प्राप्त कर सकेंगे।



परिचय


हमारे देश में योजना आयोग एक संविधानेत्तर संस्थान है जिसका गठन मार्च 1950 में तत्कालीन प्रधानमंत्री पं. नेहरू के प्रयासों से मंत्रिमण्डल के एक संकल्प द्वारा किया गया। इसका उद्देश्य आर्थिक एवं सामाजिक विकास के लिए एक समेकित पंचवर्षीय योजना बनाना। तथा इस निमित्त संघ की सरकार के लिए सलाहकारी निकाय के रूप में कार्य करना था। लेकिन इस आयोग के कार्यकलाप में प्रतिरक्षा एवं विदेशी मामलों को छोड़कर प्रशासन के लगभग सभी क्षेत्र समा गये हैं। इसके आलोचकों का मानना हैं कि यह 'सम्पूर्ण देश का आर्थिक मण्डल' बन गया है जिसके कृत्य वित्त आयोग जैसे संवैधानिक निकायों के कृत्यों का उल्लंघन करते हैं और फिर भी यह ससद के प्रति जवाबदेह नहीं है। इन आलोचकों का मानना है कि योजना आयोग एक ऐसा अभिकरण है जो परिसंघीय प्रणाली के अधीन राज्यों की स्वतंत्रता पर प्रहार करता है। इसमे कोई संदेह नहीं है कि संघीय स्तर पर योजना आयोग की बात का काफी वजन है, क्योंकि इसका अध्यक्ष स्वयं प्रधानमंत्री होता है किन्तु जहाँ तक राज्यों का प्रश्न है, तो उनके लिए आयोग की भूमिका मात्र एक सलाहकार की है। आयोग का कार्य सिर्फ योजना बनाना है। इन योजनाओं को कार्यन्वित करना या न करना राज्यों के हाथ में है।

 पंचवर्षीय योजनाएं एवं सामाजिक नियोजन


सर्वप्रथम 1934 में महान् अर्थशास्त्री एम. विश्वेश्वरैया ने अपनी पुस्तक प्लान्ड इकॉनमी को प्रकाशित करते हुये भारत में नियोजित सामाजिक-आर्थिक विकास की आधार शिला रखी। 1937 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने भारत की परिस्थितियों के अनुरूप नियोजन के मसले पर विचार-विमर्श किया। 1938 में जब सुभाषचन्द्र बोस भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अध्यक्ष बने, तब उन्होंने उपयुक्त नियोजन के माध्यम से सामाजिक-आर्थिक विकास को प्रोत्साहित किये जाने के लिये राष्ट्रीय नियोजन समिति बनाई। 1944 में अंग्रेजी सरकार द्वारा नियोजन तथा विकास विभाग खोला गया। 1945 में औद्योगिक नीति की घोषणा की गयी। 1946 में कांग्रेस-लीग मंत्रालय ने नियोजन तथा विकास विभाग को समाप्त कर सलाहकार नियोजन बोर्ड गठित किया। स्वतंत्रता मिलने पर भारतीय संविधान के लागू किये जाने के बाद भारत एक सम्प्रभुतापूर्ण प्रजातांत्रिक गणतंत्र बना। 1977 में संविधान में आवश्यक संशोधन करते हुए इसे सम्प्रभुतापूर्ण, समाजवादी, धर्म निरपेक्ष, प्रजातांत्रिक गणतंत्र घोषित किया गया। आर्थिक अ तथा समाजिक नियोजन को भारतीय संविधान की सातवीं अनुसूची में केन्द्रीय सूची के अन्तर्गत रखा गया है, और इसके राज्य नीति के निदेशक सिद्धान्तों के अधीन भारतीय समाज के विकास की विस्तृत रूपरेखा प्रस्तुत की गयी।

भारत में सामाजिक-आर्थिक विकास को प्रोत्साहित करने के लिये पंचवर्षीय योजनाओं का शुभारम्भ 1951 में किया गया। इन पंचवर्षीय योजनाओं का मूल उद्देश्य तीव्र और अनवरत आर्थिक विकास करना तथा आय और सम्पत्ति में पायी जाने वाली विषमताओं को अत्यधिक प्रभावपूर्ण एवं सन्तुलित रूप से कम करते हुये सेवायोजन के अवसरों में वृद्धि करना था. ताकि आर्थिक शक्ति पर एकाधिकार में कमीं की जा सके और देश को प्रत्येक दृष्टि से आत्मनिर्भर बनाया जा सके। पंचवर्षीय योजनाओं में मिश्रित अर्थव्यवस्था को अपनाया गया जिसके अधीन सार्वजनिक तथा निजी दोनों क्षेत्रों को एक दूसरे के पूरक के रूप में स्वीकार किया गया है।

 बुनियादी एवं भारी उद्योगों, जिनमें अधिक पूंजी निवेश की आवश्यकता है, के प्रोत्साहन का उत्तरदायित्व सार्वजनिक क्षेत्र पर डाला गया और लोगों की आवश्यकताओं एवं आकांक्षाओं की पूर्ति के लिये आवश्यक व्यवस्था करने का उत्तरदायित्व निजी क्षेत्र पर डाला गया। इन पंचवर्षीय योजनाओं के अन्तर्गत सामाजिक आर्थिक विकास के विविध आयामों के बीच आवश्यक सामंजस्य स्थापित करने का प्रयास किया गया है।

FAQ

Q. नियोजन क्या है भारत में पंचवर्षीय योजना पर प्रकाश डालिए?

A. पंचवर्षीय योजना हर 5 वर्ष के लिए केंद्र सरकार द्वारा देश के लोगों के आर्थिक और सामाजिक विकास के लिए शुरू की जाती है

Q. 13वीं पंचवर्षीय योजना क्या है?

A. 13वीं पंचवर्षीय योजना के दौरान, नव निर्मित प्राकृतिक गैस पाइपलाइनें 40000 किमी होंगी, 2020 तक, प्राकृतिक गैस पाइपलाइन की कुल लंबाई 104000 किमी होगी


निष्कर्ष

1951 से लेकर आज तक हमारे देश में 12 पंचवर्षीय योजनाओं का निर्माण एवं लागू किया गया है। विभिन्न पंचवर्षीय योजनाओं के अन्तर्गत किये गये महत्वपूर्ण प्रावधानों में से एक है। 

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