वर्णनात्मक अनुसंधान
प्रस्तावना
शैक्षिक शोध के अन्तर्गत वर्णनात्मक सर्वेक्षण विधि का बहुतायत से प्रयोग होता है। इसे मानवीय सर्वेक्षण के नाम से भी पुकारा जाता है। इनका प्रमुख मुद्दा वर्तमान घटनाक्रमों का अध्ययन करना है। अर्थात वर्तमान घटनाक्रमों के विभिन्न पक्षों का विवरण देना इस प्रकार के शोधों को पूरा करने का निहित उद्देश्य है। उपलब्ध परिस्थितियों या दशाओं की प्रकृति का पता लगाना या वर्तमान परिस्थितियों का तुलनात्मक अध्ययन की दृष्टि से मानको को निश्चित करना या विशेष प्रकार की घटनाओं, गोचरों के मध्य पाये जाने वाले सम्बन्धों को निर्धारित करना इस विधि 1 के क्षेत्र में ही आता है।
इस विधि में यह ध्यान देना होगा कि वर्णनात्मक सर्वेक्षण की विधि अपनी जटिलता की स्तर की दृष्टि से अन्य शोध विधियों से भिन्नता रखती है तथा इसके तहत साधारण आवृत्ति या परिगणना से लेकर अत्यन्त अर्न्तनिहित सम्बन्धात्मक विश्लेषणों से युक्त अध्ययन सम्पन्न होते है। इस विधि का अनुप्रयोग ऐसी परिस्थिति में किया जाता है जिसमें समस्या समाधान प्राप्त करना मुख्य ध्येय होता है। इस इकाई के अन्तर्गत वर्णनात्मक अनुसन्धान की प्रक्रिया उद्देश्य, प्रकार एवं अन्तर सम्बन्धों आदि का अध्ययन किया जा सकेगा।
उद्देश्य
इस इकाई के अध्ययन से अधिगमकर्ता
1. वर्णनात्मक अनुसन्धान उद्देश्य के बारे में जान सकेंगे।
2. वर्णनात्मक अनुसन्धान के विभिन्न पदों से अवगत हो सकेंगे।
3. वर्णनात्मक अनुसन्धान के प्रकार को बता सकेंगे।
4. अन्तर सम्बन्धों के अध्ययन को समझ सकेंगे।
वर्णनात्मक अनुसन्धान
शिक्षा तथा मनोविज्ञान के क्षेत्र में वर्णनात्मक अनुसन्धान का महत्व बहुत अधिक है इस विधि का प्रयोग शिक्षा व मनोविज्ञान के क्षेत्र में व्यापक रूप से होता है।
जॉन डब्ल्यू बेस्ट के अनुसार "वर्णनात्मक अनुसन्धान 'क्या है' का वर्णन एवं विश्लेषण करता है। परिस्थितियाँ अथवा सम्बन्ध जो वास्तव में वर्तमान है, अभ्यास जो चालू है, विश्वास, विचारधारा अथवा अभिवृत्तियाँ जो पायी जा रहीं है, प्रक्रियायें जो चल रही है, अनुभव जो प्राप्त किये जा रहे हैं अथवा नयी दिशायें जो विकसित हो रही है, उन्हीं से इसका सम्बन्ध है।"
वर्णनात्मक अनुसन्धान का प्रयोग निम्नलिखित प्रश्नों का उत्तर प्राप्त करने में होता है- वर्तमान स्थिति क्या है? इस विषय की वर्तमान स्थिति क्या है?
वर्णनात्मक अनुसन्धान का मुख्य उद्देश्य वर्तमान दशाओं, क्रियाओं, अभिवृत्तियों तथा स्थिति के विषय को ज्ञान प्राप्त करना है। वर्णनात्मक अनुसन्ध वानकर्ता समस्या से सम्बन्धित केवल तथ्यों को एकत्र ही नहीं करता है बल्कि वह समस्या से सम्बन्धित विभिन्न चरों में आपसी सम्बन्ध ढूँढ़ने का प्रयास करता है साथ ही भविष्यवाणी भी करता है।
वर्णनात्मक अनुसन्धान के उद्देश्य
1. वर्तमान स्थिति का स्पष्टीकरण करना तथा भावी नियोजन एवं सम्बन्धित परिवर्तन में सहायता करना।
2. भावी अनुसन्धान के प्राथमिक अध्ययन में सहायता करना जिससे अनुसन्क तान को अधिक नियंत्रित, वस्तुनिष्ठ एवं प्रभावी बनाया जा सके।
वर्णनात्मक अनुसन्धान के पद
डेविड फोक्स के अनुसार वर्णनात्मक अनुसन्धान के निम्न लिखित पद है
1. अनुसन्धान-समस्या के कथन को स्पष्ट करना।
2. यह सुनिश्चित करना कि समस्या सर्वेक्षण अनुसन्धान के उपयुक्त है।
3. उचित प्रकार की सर्वेक्षण विधि का चुनाव करना।
4 उद्देश्यों को निर्धारित करना।
5. यह सुनिश्चित करना कि-
1. ऑकडे प्राप्त करने के उपकरण उपलब्ध है।
2. यह उपकरण समय पर तैयार या उपलब्ध हो सकते हैं।
3. यह उपकरण न तो है और न ही तैयार किये जा सकते हैं।
6 प्रस्तावित सर्वेक्षण की सफलता का पूर्वानुमान लगाना।
7 अनुसन्धान के प्रतिनिधिकारी न्यायदर्श का चुनाव करना।
8. न्यायदर्श, उपकरण आदि को ध्यान में रखते हुए सर्वेक्षण की सफलता का अन्तिम पूर्वानुमान लगाना।
9. ऑकले प्राप्त करने का अभिकल्प तैयार करना।
10. आँकड़ों का संग्रह करना।
11. आँकड़ों का विश्लेषण करना।
12. प्रतिवेदन तैयार करना
1. वर्णनात्मक पक्ष
2. तुलनात्मक अथवा मूल्यांकन पक्ष
3. निष्कर्ष।
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