पूँजी प्राप्तियाँ - CAPITAL RECEIPTS
किसी भी सरकार की सभी गैर-राजस्व प्राप्तियों को पूँजी प्राप्ति कहा जाता है। इस प्रकार की प्राप्तियों का उद्देश्य निवेश करना होता है तथा सरकार इसका उपयोग योजना विकास के लिए करती है। भारत में पूँजी प्राप्ति में निम्नलिखित को शामिल किया जाता है:
(1) ऋण की वसूली (Loan Recovery): यह पूँजी प्राप्ति का एक स्त्रोत है। इसके अंतर्गत सरकार द्वारा दिए गए ऋण (भारत में तथा विदेश में) की अदायगी से पूँजी प्राप्ति होती है तथा सरकार को इन ऋणों पर ब्याज भी प्राप्त होता है, जिन्हें राजस्व प्राप्तियों में शामिल किया जाता है।
(ii) सरकार द्वारा लिया गया कर्ज (Borrowings of the Government): सरकार द्वारा लिए गए कर्ज से भी पूँजी को प्राप्ति होती है। इसमें दोनों किस्म के कर्ज शामिल हैं-आंतरिक कर्ज तथा बाह्य कर्ज। आआंतरिक कर्ज में सरकार द्वारा भारतीय रिजर्व बैंक, अन्य भारतीय बैंक तथा वित्तीय संस्थानों से लिया गया कर्ज शामिल होता है। इसी तरह बाह्य कर्ज में सरकार द्वारा विश्व बैंक, अन्तर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष, विदेशी बैंक, दूसरे देश की सरकारों, विदेशी वित्तीय संस्थानों, इत्यादि से लिया गया ऋण शामिल होता है।
(iii) सरकार की अन्य प्राप्तियाँ (Other Receipts by the Governments): इसमें लम्बी अवधि के पूँजी उपचय शामिल होते हैं जो सरकार को भविष्य निधि, लघु बचत योजना, इन्दिरा विकास पत्र, किसान विकास-पत्र, इत्यादि से प्राप्त होते हैं।
पूँजी व्यय (CAPITAL EXPENDITURE)
वैसे सभी क्षेत्र जिन्हें सरकार से पूँजी उपचय (accruals) शामिल होते हैं जो सरकार को भविष्य निधि, लघु बचत योजना, इन्दिरा विकास पत्र, किसान विकास-पत्र, इत्यादि से प्राप्त होते हैं।
पूँजी उपचय (CAPITAL ACCRUALS)
वैसे सभी क्षेत्र जिन्हें सरकार से पूँजी प्राप्त होती है पूँजी व्यय का भाग होते हैं। भारत में इसमें निम्नलिखित शामिल हैं:
1. सरकार द्वारा वितरित ऋण (Loans Disbursals by the Government): इसमें सरकार द्वारा दिए गए आंतरिक ऋण (राज्यों, केन्द्र शासित प्रदेशों, सार्वजनिक क्षेत्र उद्यमों, इत्यादि को) तथा बाह्य ऋण (अन्य देशों, विदेशी बैंकों, इत्यादि से प्राप्त ऋण) शामिल हैं।
2. सरकार द्वारा पूर्व में लिए गए ऋण की अदायगी (Loan Repayment by the Government of the Borrowings made in the Past): इसमें सरकार द्वारा लिए गए आंतरिक तथा बाह्य ऋणों की अदायगी शामिल है। इन ऋणों पर दिया जाने वाला व्याज राजस्व व्यय के अन्तर्गत आता है।
3. सरकार का योजनागत व्यय (Planned Expenditure of the Government): इसके अन्तर्गत वैसे सभी व्यय आते हैं, जिनका उपयोग केन्द्र सरकार योजनागत विकास तथा राज्यों के योजनागत विकास को समर्थन देने के लिए करती है।
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